Story created by Renu Chouhan

इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन और दोस्त कौन है?

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अगर आपसे पूछा जाए कि आपका सबसे बड़ा दुश्मन और दोस्त कौन हैं?

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तो आप कुछ समय सोचेंगे और जवाब ढूंढेंगे, लेकिन चाणक्य के मुताबिक आपको किसी और के बारे में सोचने की जरूरत ही नहीं है.

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दरअसल, चाणक्य नीति में एक वाक्य है "आत्मायत्तौ वृद्धिविनाशौ".


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इसका अर्थ चाणक्य ने बताया कि मनुष्य की वृद्धि और विनाश उसके अपने हाथ में होते हैं.


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चाणक्य ने बताया कि भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता में लिखा है कि मनुष्य अपना ही सबसे बड़ा मित्र और अपना ही सबसे बड़ा शत्रु होता है.


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वह अपने ही कार्यों से सबकुछ बनाता है और बिगाड़ता भी है. इसी प्रकार राष्ट्र की वृद्धि और उसका पतन राजा के हाथ में है.


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राजा की योग्यता और अयोग्यता भी किसी राज्य की वृद्धि और विनाश का कारण होती है.


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राजा यदि योग्य होगा तो राज्य का विस्तार होने के साथ धन-धान्य से समृद्ध भी होगा.


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यदि वह नीतिहीन, शराबी, व्यभिचारी और दुर्व्यसनों में फंसा हुआ है तो राष्ट्र का विनाश हो जाएगा.


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यानी मनुष्य की वृद्धि और विनाश उसके अपने व्यवहार पर निर्भर करता है.

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