इलेक्शन वाली स्याही की वजह से दुल्हनों ने VOTE डालने से कर दिया था इनकार, आखिर क्यों?
 Story By Renu Chouhan
              लोकसभा चुनावों के दौरान हर मतदान देने वाले व्यक्ति की दाएं या बाएं उंगली पर नीली स्याही लगाई जाती है.
 Image Credit: PTI
            हर मतदाता की उंगली पर EVM मशीन से वोट देने से पहले इस स्याही से निशान लगाया जाता है.
 Image Credit: PTI
            कहां से आती है स्याही- साल 1962 से इस स्याही को बनाने का लाइसेंस सिर्फ मैसूर पेंट्स एंड वर्निश लिमिटेड (MVPL) के पास ही है.
 Image Credit: Unsplash
            कब हुई शुरुआत- मैसूर प्रांत के महाराज नलवाडी कृष्णराजा वडयार ने साल 1937 में इस कंपनी की स्थापना की थी. 
 Image Credit: Unsplash
            सिर्फ भारत में ही नहीं ये कंपनी 25 और देशों जैसे कनाडा, घाना, नाइजीरिया, मंगोलिया, साउथ अफ्रीका, नेपाल आदि देशों में जाती है.
 Image Credit: PTI
            इस स्याही में सिल्वर नाइट्रेट होता है, जो कि एक रंगहीन कंम्पाउंड होता है. ये अल्ट्रावॉयलेट लाइट जैसे सूरज की रोशनी में दिखाई देता है.
 Image Credit: Unsplash
            पहले आम चुनावों के दौरान 3 लाख 16 हज़ार इंक की शीशियों को 1 लाख 84 हज़ार में खरीदा गया था.
 Image Credit: Unsplash
            साल 1971 तक स्याही सिर्फ उंगली पर लगाई जाती थी, नाखून पर नहीं. इसी वजह से वाराणसी की कुछ दुल्हनों ने वोट देने से इनकार कर दिया था.
 Image Credit: Unsplash
            क्योंकि उनका मानना था कि वोट की स्याही के रंग से उनके हाथों की मेहंदी खराब लगती है.
 Image Credit: Unsplash
            इसीलिए 1971 के बाद इलेक्शन कमीशन ने ये डिसाइड किया कि अब से स्याही नाखूनों पर लगेगी, जिससे वो नाखून के बढ़ने के साथ ही गायब होती जाएगी.
 
 Image Credit: PTI
              और देखें
 Votes की गिनती कैसे होती है और कौन करता है? गिनती के बाद EVM मशीनों का क्या होता है, जानिए सबकुछ
  Hot Seat: लोकसभा चुनावों की पॉपुलर सीटें, सबकी निगाहें टिकी इनपर
  Photo: पूरे देश में लोकसभा चुनावों का जश्न, लेकिन गुवाहाटी में ये क्या हो रहा है
  सलाम! ताकत लोकतंत्र की इनसे है...
     Click Here