Story created by Renu Chouhan
ऊंचे बैठने से कोई बड़ा नहीं बनता, चाणक्य ने बताई वजह
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आपने अक्सर ये सुना होगा कि हाई पोज़िशन पर बैठने वाले मनुष्य को श्रेष्ट माना जाता है.
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उसी को पूरी दुनिया सबसे अच्छा मानती है और ऊंचा समझती है.
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लेकिन चाणक्य के मुताबिक ऐसा कुछ नहीं है, उन्होंने इस बात को एक श्लोक के जरिए समझाया है.
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चाणक्य नीति में एक श्लोक है "गुणैरुत्तमतां याति नोच्चैरासनसंस्थिता। प्रासादशिखरस्थोपि काक: किं गरुडायते।।".
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चाणक्य ने इस वाक्य में बताया कि मनुष्य अपने अच्छे गुणों के कारण ही श्रेष्ठता को प्राप्त होता है, ऊंचे आसन पर बैठने के कारण नहीं.
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राजभवन की सबसे ऊंची चोटी पर बैठने पर भी कौआ कभी गरुड़ नहीं बन सकता है.
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यानी चाणक्य ने सीधे शब्दों में कहा कि अगर कोई श्रेष्ठ तभी है जब उसमें अच्छे गुण होंगे.
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और ऐसे ही गुणवान व्यक्तियों को दुनिया में सभी इज्जत देते हैं.
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