क्यों करते हैं अहोई अष्टमी का व्रत

Story Created By: Arti Mishra

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हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी व्रत का काफी महत्व है. कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी मनाई जाती है.

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धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को विधि पूर्वक करने से संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि में अपार वृद्धि होती है.

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इस व्रत को लेकर मान्‍यता है कि इसे रखने से संतान के कष्‍ट दूर होते हैं, उन्‍हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

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इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा. यह व्रत निर्जला किया जाता है. 

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करवा चौथ व्रत में जहां चांद देखने के बाद व्रत पारण करते हैं, तो वहीं इसमें तारों की पूजा की जाती है.


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इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है. पूजा के लिए चांदी की एक अहोई बनाई जाती है, जिसे स्याहु कहा जाता है.


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इसे अहोई अष्टमी के दिन रोली का टीका लगाकर पूजन करने के बाद ही पहना जाता है.


अहोई अष्टमी पर पूजा करने के बाद महिलाएं गले में स्याहु को कलावा में पिरोकर माला पहनती हैं और इसे पांच दिनों तक यानी दिवाली तक पहने रखती हैं.


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मान्यता है कि इस माला को पहनने से संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है.

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