ढाई किलो हाथ की तरह दमदार हैं सनी देओल के ये 10 डायलॉग
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Story By- Shikha Yadav
घातक (1996)
ये मजदूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है! ये ताकत खून-पसीने से कमाई हुई रोटी की है. मुझे किसी के टुकड़ों पर पलने की जरूरत नहीं.
गदर (2001)
अशरफ अली! आपका पाकिस्तान जिंदाबाद है, इससे हमें कोई ऐतराज नहीं लेकिन हमारा हिंदुस्तान जिंदाबाद है, जिंदाबाद था और जिंदाबाद रहेगा!
घायल (1990)
झक मारती है पुलिस. उतारकर फेंक दो ये वर्दी और पहन लो बलवंतराय का पट्टा अपने गले में यू बास्टर्ड.
जिद्दी (1997)
चिल्लाओ मत इंस्पेक्टर, ये देवा की अदालत है, और मेरी अदालत में अपराधियों को ऊंचा बोलने की इजाजत नहीं.
Image Credit: Instagram/@hirani.rajkumar
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घातक (1996)
हलक में हाथ डालकर कलेजा खींच लूंगा हरामखोर...उठा उठा के पटकूंगा! उठा उठा के पटकूंगा! चीर दूंगा, फाड़ दूंगा साले!
दामिनी (1993)
चिल्लाओ मत, नहीं तो ये केस यहीं रफा-दफा कर दूंगा. न तारीख न सुनवाई, सीधा इंसाफ. वो भी ताबड़तोड़.
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घातक (1996)
पिंजरे में आकर शेर भी कुत्ता बन जाता है कात्या. तू चाहता है मैं तेरे यहां कुत्ता बनकर रहूं. तू कहे तो काटूं, तू कहे तो भौंकू.
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गदर (2001)
बाप बनकर बेटी को विदा कर दीजिए, इसी में सबकी भलाई है, वरना अगर आज ये जट बिगड़ गया तो सैकड़ों को ले मरेगा.
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घायल (1990)
बहुत पछताओगे इंस्पेक्टर, अगर तुमने मुझे ज़िंदा छोड़ दिया तो.
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घायल (1990)
इस चोट को अपने दिल-ओ-दिमाग पर कायम रखना. कल यही आंसू क्रांति का सैलाब बनकर, इस मुल्क की सारी गंदगी को बहा ले जाएंगे.
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