आनंद मूवी के वो 10 डायलॉग, जिन्होंने बदल दिया राजेश खन्ना का स्टारडम
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1971 में आई फिल्म आनंद को राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के लिए जाना जाता है, जिसमें ग्रेट एक्टिंग के साथ बोले गए इमोशनल और दिल छू लेने वाले डायलॉग आज भी फैंस के दिलों में बसते हैं.
पहला- बाबुमोशाय जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं.. और दूसरा-जब तक जिंदा हूं तब तक मरा नहीं... जब मर गया साला मैं ही नहीं...
तीसरा- हम आने वाले गम को खींच तान कर आज की खुशी पे ले आते हैं... और उस खुशी में जहर घोल देते हैं.
चौथा- मानता हूं कि जिंदगी की ताकत मौत से ज्यादा बड़ी है... लेकिन यह जिंदगी क्या मौत से बत्तर नहीं.
सातवां- कब कौन कैसे उठेगा... यह कोई नहीं बता सकता.
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आठवां- मौत तो एक पल है...
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नौंवा- मौत एक कविता है... मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको... डूबती नब्जों में जब दर्द को नींद आने लगे... जरा सा चेहरा लिए चांद उफतक पहुंचे... दिन अभी पानी में हो रात किनारे के करीब... ना अंधेरा, ना उजाला हो... ना अभी रात, ना दिन...जिस्म अब खत्म हो और रुह को जब सांस आए... मुझसे एक कविता का वाजा है मिलेगी मुझको.
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दंसवा- बाबुमोशाय, जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ है... उससे ना तो आप बदल सकता है ना मैं... हम सब तो रंगमंत की कठपुतलियां हैजिनकी जोर उपरवाले की उंगलियों में बंधी है.
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