एवरग्रीन हैं 'आनंद' फिल्म के ये 8 जबरदस्त डायलॉग
Images: Social Media
Story By- Shikha Yadav
आनंद फिल्म का सबसे चर्चित डायलॉग है, 'बाबुमोशाय जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं'.
जब तक जिंदा हूं तब तक मरा नहीं...जब मर गया साला मैं ही नहीं.
हम आने वाले गम को खींच तान कर आज की खुशी पे ले आते हैं...और उस खुशी में जहर घोल देते हैं.
मानता हूं कि जिंदगी की ताकत मौत से ज्यादा बड़ी है...लेकिन यह जिंदगी क्या मौत से बत्तर नहीं.
आनंद मरा नहीं, आनंद मरता नहीं.
Image Credit: Instagram/@hirani.rajkumar
Image Credit: Instagram/@hirani.rajkumar
ये भी तो नहीं कह सकता मेरी उमर तुझे लग जाए.
बाबुमोशाय, जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ है. उससे ना तो आप बदल सकते हैं ना मैं. हम सब तो रंगमंत की कठपुतलियां हैं, जिनकी डोर ऊपरवाले की उंगलियों में बंधी है.
Image Credit: Instagram/@hirani.rajkumar
मौत एक कविता है. मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको. डूबती नब्जों में जब दर्द को नींद आने लगे. जरा सा चेहरा लिए चांद उफतक पहुंचे. दिन अभी पानी में हो रात किनारे के करीब. ना अंधेरा, ना उजाला हो. ना अभी रात, ना दिन. जिस्म अब खत्म हो और रुह को जब सांस आए.
Image Credit: Instagram/@hirani.rajkumar