अमरीश पुरी यूं ही नहीं बॉलीवुड के विलेन, ये 10 डायलॉग सुन आज भी कांप जाते हैं फैंस
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अमरीश पुरी बॉलीवुड के ऐसे विलेन हैं, जिन्हें आज तक कोई एक्टर मैच नहीं कर पाया है.
डायलॉग डिलीवरी से लेकर एक्टिंग के फैंस अमरीश पुरी के कायल हैं. वहीं उनके 10 डायलॉग ऐसे हैं, जिसे कोई नहीं भूला है.
मोगैंबो खुश हुआ एक ऐसा डायलॉग है, जो आज तक लोगो की जबां पर रहता है. यह 1987 में आई फिल्म मिस्टर इंडिया का है.
1993 में आई फिल्म दामिनी का डायलॉग 'ये अदालत है, कोई मंदिर या दरगाह नहीं जहां मन्नतें और मुरादें पूरी होती हैं, यहां धूप बत्ती और नारियल नहीं बल्कि ठोस सबूत और गवाह पेश किए जाते हैं'
1992 में आई फिल्म विश्वात्मा में अमरीश पुरी का डायलॉग 'थप्पड़ तुम्हारे मुंह पर पड़ा है और निशान मेरे गाल पर पड़े हैं' ने छाप छोड़ी थी.
Image Credit: Instagram/@hirani.rajkumar
इलाका फिल्म, जो 1989 में आई थी. इसमें एक डायलॉग 'गलती एक बार होती है, दो बार होती है, तीसरी बार इरादा होता है' ने फैन को इनका दीवाना बना दिया था.
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1992 में दीवाना फिल्म का डायलॉग 'ये दौलत भी क्या चीज़ है, जिसके पास जितनी भी आती है, कम ही लगती है' आज भी सुनने को मिलता है.
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1995 की करण अर्जुन में डायलॉग 'पैसों के मामले में मैं पैदाइशी कमीना हूं, दोस्ती और दुश्मनी का क्या, अपनों का खून भी पानी की तरह बहा देता हूं' सुनने को मिला था.
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1990 की मुकद्दर का बादशाह में 'नए जूतों की तरह शुरू में नए अफसर भी काटते हैं' और 1992 की तहलका में डॉग कभी रॉन्ग नहीं होता फेमस हुआ था.
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1995 की फेमस फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में अमरीश पुरी का जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी! आज भी फैंस का फेवरेट है. 2004 में आई फिल्म ऐतराज में डायलॉग 'आदमी के पास दिमाग हो तो अपना दर्द भी बेच सकता है' काफी चर्चा में रहा था. '
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