गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में हुआ. वह कपिलवस्तु के शाक्य राजा शुद्धोधन और महामाया के पुत्र थे.
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युवावस्था में राजमहल के विलास को छोड़कर सिद्धार्थ ने जीवन के दुखों का समाधान खोजने के लिए संन्यास का मार्ग अपनाया.
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छह वर्षों तक कठोर तपस्या के बाद बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह गौतम बुद्ध कहलाए.
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बुद्ध ने अपने उपदेशों में चार आर्य सत्य बताए: 1)दुःख है 2)दुःख का कारण है 3)दुःख का निवारण संभव है 4)दुःख निवारण का मार्ग है.
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बुद्ध ने जीवन को संतुलित और शांति से जीने के लिए अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया, जिसमें सही दृष्टि, सही संकल्प, सही वाणी, सही कर्म, सही आजीविका, सही प्रयास, सही स्मृति और सही ध्यान शामिल हैं.
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बुद्ध के ज्ञान और उपदेशों ने बौद्ध धर्म की नींव रखी। उनके अनुयायियों ने भारत, श्रीलंका, चीन और जापान सहित दुनिया भर में इस धर्म का प्रसार किया.
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गौतम बुद्ध ने अहिंसा, करुणा, और शांति का संदेश दिया. उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को जीवन के सत्य और संतुलन का मार्ग दिखाती हैं.