Byline: Renu Chouhan
18/02/2025
11 साल की बच्ची ने रखा था सौर मंडल के इस बौने ग्रह का नाम
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दिन था 18 फरवरी 1930, जब एक अमेरिकी वैज्ञानिक क्लाइड टॉमबाग ने एक बौने ग्रह की खोज की थी.
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इसे बौना ग्रह इसीलिए कहा गया क्योंकि यह ग्रह की कक्षा के चारों ओर के क्षेत्र को साफ नहीं करता. इसकी कक्षा अंडाकार है.
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इसी साल इंग्लैंड की रहने वाली वेनेटिया बर्नी ने अपने दादा को इस ग्रह के नाम के लिए सुझाव दिया.
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यह नाम था रोमन के देवता प्लूटो, जिसे वेनेटिया ने लोवेल की वेधशाला में भेजा, वहीं इस नाम को नए ग्रह के लिए चुन लिया गया. बता दें, रोम में अंधेरे के देवता को प्लूटो कहते हैं और इस ग्रह पर भी हमेशा अंधेरा रहता है
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सालों बाद, साल 2006 में नासा को दिए गए एक इंटरव्यू में वेनेटिया ने बताया कि उन्होंने अपनी मां और दादा के साथ नाश्ते के दौरान प्लूटो नाम की पेशकश की थी.
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बता दें, प्लूटो ग्रह की चौड़ाई सिर्फ 1400 मील है यानी सिर्फ आधे अमेरिका जितनी. यह ग्रह सूर्य से 3.6 बिलियन मील दूर है.
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प्लूटो का तापमान -232 डिग्री सेल्यियस रहता है, यानी यहां सिर्फ पहाड़, घाटियां और उन पर जमी बर्फ की मोटी परते ही हैं.
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प्लूटो के सबसे ऊंचे पर्वत 6,500 से 9,800 फीट (2 से 3 किलोमीटर) ऊंचे हैं. ये पर्वत पानी की बर्फ के बड़े-बड़े खंड हैं, जिन पर कभी-कभी मीथेन जैसी जमी हुई गैसों की परत होती है.
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प्लूटो का वायुमंडल पतला है जो ज्यादातर ज़्यादातर नाइट्रोजन, मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड से बना है.
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प्लूटो पर एक दिन लगभग 153 घंटे का होता है. इसके पांच चंद्रमा हैं: चारोन, निक्स, हाइड्रा, केर्बेरोस और स्टाइक्स.
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