Story created by Renu Chouhan
 सांप का विष उसके दांत में और इंसान का...! चाणक्य ने बताया जवाब
              Image Credit: Unsplash
  चाणक्य नीति में एक वाक्य है जिसमें चाणक्य ने विष के बारे में बताया है. 
              Image Credit: Unsplash
  वो वाक्य है "तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायास्तु मस्तके, वृच्श्रिकस्य विषं पुच्छे सर्वांगे दुर्जन विषम्".
              Image Credit: Unsplash
  इस वाक्य में आचार्य चाणक्य ने बताया कि सांप का विष उसके दांत में होता है.
             
 Image Credit: Unsplash
  मक्खी का विष उसके सिर में रहता है, बिच्छू का विष उसकी पूंछ में होता है.
             
 Image Credit: Unsplash
  यानी इस सभी विषैले प्राणियों के एक-एक अंग में ही विष होता है, लेकिन दुर्जन मनुष्य के सभी अंग विष से भरे हुए रहते हैं.
             
 Image Credit: Unsplash
  चाणक्य का अर्थ है कि विषैले प्राणियों को विष का प्रयोग करने के लिए समय चाहिए.
             
 Image Credit: Unsplash
  वे विशेष परिस्थियों में ही, जैसे कि शिकार करने या अपने बचाव के लिए ही अपने विष का प्रयोग करते हैं, जबकि दुष्ट को सदैव विष दंश करना रहता है. 
             और देखें
  हमें हिचकी क्यों आती है?
  इस एक्ट्रेस से लिए सैंटा बने धोनी, तस्वीरें आईं सामने
  उंगलियों को चटकाने से क्यों आती है आवाज़? 
  2024 में सच हुई बाबा वेंगा की 2 ये भविष्यवाणियां
     Click Here