Chaitra Navratri 2025: जानें क्यों तृतीया तिथि को पूजी जाती हैं मां चंद्रघंटा?
देशभर में Chaitra Navratri 2025 पूरे धूमधाम से मनाए जा रहे हैं.
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चैत्र नवरात्र 2025 में द्वितिया और तृतीया तिथि एक ही दिन पड़ी है. 31 मार्च को द्वितीया तिथि सुबह 9 बजकर 11 मिनट तक रही.
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विधि अनुसार द्वितिया को मां ब्रह्मचारिणी को पूजा जाता है. इसके बाद तृतीया प्रारंभ हुई. ये तिथि 1 अप्रैल की सुबह 5 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी और इस तिथि में मां चंद्रघंटा को पूजा जाता है.
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अब सवाल यही है कि मां की आराधना तृतीया तिथि पर ही क्यों की जाती है?
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देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा ने चंद्रघंटा का अवतार तब लिया जब संसार में दैत्यों का अत्याचार बढ़ने लगा.
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उस समय महिषासुर का भयंकर युद्ध भी देवताओं से चल रहा था. महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन हासिल करना चाहता था और स्वर्ग लोक का राजा बनना चाहता था.
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देवता जब महिषासुर से युद्ध करने में असमर्थ रहे, तब परेशान होकर भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रार्थना की.
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देवताओं की बात सुन त्रिदेव महिषासुर पर क्रोधित हुए. फलस्वरूप उनके मुख से ऊर्जा निकली, जिससे एक शक्ति का जन्म हुआ और यही चंद्रघंटा मां कहलाईं.
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भगवान शंकर ने शक्ति स्वरूपा को अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने तेज, तलवार और सिंह दिया.
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जगत के कल्याणार्थ शक्ति संपन्न मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध करके देवताओं की रक्षा की थी.
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तभी से मां दुर्गा के इस रूप को तृतीय स्वरूप में पूजा जाता है.
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