देश में पेट्रोल-डीजल के दामों (Petrol-Diesel Price Hike) में ऐतिहासिक तौर पर वृद्धि हो रही है. देश के हर शहर में पेट्रोल-डीजल अपने रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर चल रहे हैं. देश के सभी प्रमुख शहरों में पेट्रोल पहले ही 100 के पार चल रहा है, वहीं डेढ़ दर्जन से ज्यादा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में डीजल 100 रुपये प्रति लीटर के पार निकल गया है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियां 28 सितंबर से पेट्रोल कीमतों में बढ़ोतरी कर रही हैं. इससे पहले तीन सप्ताह तक इस वाहन ईंधन के दाम नहीं बढ़ाए गए थे. उसके बाद से 23 बार में पेट्रोल के दाम 7.10 रुपये प्रति लीटर बढ़े हैं. वहीं 24 सितंबर से 24 बार में डीजल के दाम 8.40 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए हैं. कच्चे तेल के दामों में रिकॉर्डतोड़ बढ़ोतरी ने पेट्रोल-डीजल को लग्ज़री बना दिया है, लेकिन आखिर ईंधन तेल इतना महंगा क्यों हो रहा है और आखिर क्या है बाजार की दशा-दिशा, समझते हैं.
सरकारी ऑयल कंपनी Indian Oil के सूत्रों का कहना है कि रोजाना पेट्रोल-डीजल के दामों में जबरदस्त बढ़ोतरी के पीछे मुख्य रूप से ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी है. पिछले कुछ हफ्तों में इंटरनेशनल क्रूड ऑयल मार्केट ने तेज बढ़ोतरी देखी है. Reuters के मुताबिक, बीते सोमवार को क्रूड फ्यूचर की कीमतें 86.43 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई थीं, जो कि तबतक अक्टूबर, 2018 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है. इंडियन ऑयल के अधिकारियों का कहना है कि इंटरनेशनल क्रूड मार्केट में डिमांड और सप्लाई में अंतर है.
वहीं, तेल निर्यात करने वाले देशों के संगठन OPEC ने भारत और कुछ अन्य देशों की ओर से लगातार मांग किए जाने के बावजूद कच्चे तेल की सप्लाई नहीं बढ़ाई है, इससे भी ब्रेंट क्रूड की कीमतें उछली हैं. पेट्रोलियम मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर, 2021 में ब्रेंट क्रूड के इंडियन बास्केट की कीमत औसतन 73.13 डॉलर प्रति बैरल थी. तबसे क्रूड की कीमतों में लगभग 17% की उछाल देखी गई है.
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जब तक इंटरनेशनल बाजार में कच्चे तेल के दाम नहीं गिरते हैं या फिर पेट्रोल-डीजल पर केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से कटौती नहीं की जाती है, तब तक तेल के दामों पर नियंत्रण पाना मुश्किल होगा. ऐसे में इंटरनेशनल बाजार में कच्चे तेल के दामों के गिरने के कोई संकेत नहीं मिल रहे. वहीं पिछले हफ्ते पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि 'वाहन ईंधन पर उत्पाद शुल्क कटौती ‘अपने पैर पर कुल्हाड़ी' मारने के समान होगी क्योंकि इस तरह के शुल्कों से सरकार मुफ्त कोविड-19 टीकाकरण, अनाज और रसोई गैस वितरण जैसी योजनाएं चला रही है. इससे महामारी के दौरान लाखों लोगों को मदद मिली है.'
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अब जब टैक्स कटौती की बात हो रही है, तो देख लेते हैं कि आखिर सरकार की ओर से कितना टैक्स लगाया जा रहा है, जिसकी वजह से कीमतें आसमान छू रही हैं. अगर टैक्स पर Indian Oil का आंकड़ा देखें तो पेट्रोल का प्राइस बिल्डअप कुछ ऐसा था. (16 अक्टूबर तक का आंकड़ा देखें).
वहीं, डीजल पर कुछ ये है प्राइस कैलकुलेशन
पेट्रोलियम मंत्रालय के Petroleum Planning & Analysis Cell (PPAC) ने पिछले हफ्ते 'Snapshot of India's Oil & Gas data for September 2021' की अपनी मासिक रिपोर्ट जारी की थी. इसमें बताया गया था कि-
- सितंबर, 2021 में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले पेट्रोलियल उत्पादों के उपभोग में 5.2% की वृद्धि दर्ज हुई.
- कच्चे तेल का आयात सितंबर 2021 में पिछले साल की इस अवधि के मुकाबले14.7% और अप्रैल-सितंबर, 2021 में पिछले साल की इस तिमाही के मुकाबले 12.9% बढ़ गया.
- कच्चे तेल का इंडियन बास्केट सितंबर, 2021 में 73.13 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर चल रहा था. अगस्त, 2021 में इसकी कीमत 69.80 डॉलर प्रति बैरल पर चल रही थी. वहीं, सितंबर, 2020 में इसकी कीमत 41.35 डॉलर प्रति बैरल पर दर्ज की गई थी.
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