1992 में यूपी बोर्ड परीक्षा में हुए थे 86 प्रतीशत बच्चे फेल. हाईस्कूल में 14 प्रतीशत बच्चे और मैट्रिक में 30 प्रतीशत बच्चे पास हुए थे. 1992 में एक विषय में फेल होने पर छात्र फेल घोषित कर दिया जाता था.