भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि के तहत मध्यस्थता न्यायालय को अवैध बताया है. किशनगंगा और रतले प्रोजेक्ट से जुड़े मध्यस्थता कोर्ट के फैसले को भारत ने खारिज किया. भारत ने स्पष्ट किया कि मध्यस्थता अदालत की कोई कानूनी मान्यता नहीं है. पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र बताते हुए भारत ने संधि को स्थगित रखने का निर्णय लिया.