तानानंद वियोगी की नागार्जुन की जीवनी 'युगो का यात्री' प्रकाशित हुई लेखक ने इस जीवनी के लिए एक लंबा और कठिन शोध कार्य किया नागार्जुन हिंदी के जनकवि के रूप में हैं विख्यात