भारत की जनसंख्या अब 146 करोड़ से अधिक हो चुकी है, जिससे अस्पताल, स्कूल, ट्रेनों और अन्य संसाधनों पर भारी दबाव बना हुआ है. देश में प्रति एक लाख लोगों पर केवल नौ सौ सीटों वाली एक पैसेंजर ट्रेन उपलब्ध है, जिससे यात्रा में भीड़ और इंतजार बढ़ता है. भारत में आम जनता और वीआईपी वर्ग के बीच जीवन स्तर और सुविधाओं में गहरा अंतर है, जहां अमीरों को बिना इंतजार के सेवाएं मिलती हैं.