SC ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधानों पर गंभीर विचार करते हुए सामाजिक परंपराओं को महत्व दिया. जस्टिस नागरत्ना ने कहा, 'विवाह में महिला का गोत्र, सरनेम बदल जाता, जो हिंदू सामाजिक व्यवस्था को दर्शाता है. विवाहित महिला अपने पति, उसके परिवार पर निर्भर होती है, वह अपने भाई के खिलाफ भरण-पोषण याचिका दायर नहीं कर सकती.