सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में वोटर लिस्ट के स्पेशल गहन रिवीजन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणियां कीं. अदालत ने चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर संदेह नहीं जताया लेकिन रिवीजन की टाइमिंग पर सवाल उठाए. सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलील दी कि बीएलओ को नागरिकता निर्धारित करने का अधिकार नहीं है, यह केवल सरकार का अधिकार है.