भागवत ने कहा कि वह संस्कृत को अनिवार्य बनाने के पक्ष में नहीं, लेकिन परंपरा-इतिहास को समझना महत्वपूर्ण है. संघ प्रमुख ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा में जोड़ना चाहिए, न कि मौजूदा व्यवस्था की जगह लागू करें. उन्होंने कहा कि हमें पढ़ाई नौकरी करने के लिए है, ये मानसिकता काफी हद तक बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार है.