आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने पर दिल्ली में आयोजित व्याख्यान श्रृंखला में मोहन भागवत ने संबोधन दिया. कहा- जो अपने मार्ग पर चलने में विश्वास रखता है, अलग-अलग मान्यताओं के लोगों का सम्मान करता है, वही हिंदू है. कहा- संघ की सार्थकता भारत के विश्व गुरु बनने में है. भारत को दुनिया में योगदान देना है और अब वो समय आ गया है.