जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने संत प्रेमानंद महाराज पर की गई टिप्पणी को लेकर हुई नाराजगी पर सफाई दी है. रामभद्राचार्य के उत्तराधिकारी रामचंद्र दास ने कहा कि गुरु की भावना पुत्र के समान होती है, कोई ईर्ष्या नहीं है. रामचंद्र दास ने चाणक्य के श्लोकों का उल्लेख करते हुए गुरु और शिष्य के बीच सचेत वाणी के महत्व पर जोर दिया.