इस बार लालबाग के राजा का विसर्जन गिरगांव चौपाटी पर तेरह घंटे की देरी से हुआ, जो परंपरा से अलग था. विसर्जन चंद्र ग्रहण के सूतक काल में हुआ, जिसे धार्मिक जानकारों ने नियमों के खिलाफ बताया और कड़ी आपत्ति जताई. कोली समुदाय, पारंपरिक रूप से विसर्जन प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभाता है, इस बार उनको प्रमुखता नहीं मिली.