मोहन भागवत ने कहा कि भारतीय सभ्यता ने ज्ञान और शास्त्रों के माध्यम से विश्व को समृद्ध किया. संघ प्रमुख ने कहा, "हम पूरी दुनिया में सद्भावना लेकर गए, लेकिन बाहर के लोग आए, जो सद्भावी नहीं थे". भागवत ने कहा बाहरी दुनिया से यहां आने वाले लोग बस विजय प्राप्त करना चाहते थे.