उत्तर भारत के मजदूरों को उनकी भाषा, पहचान और प्रदेश के कारण शहरों में अपमान और भेदभाव का सामना करना पड़ता है. मराठी-हिंदी विवाद में कुछ राजनीतिक दल भाषा को वोट बैंक के लिए हथियार बना रहे हैं, जिससे सामाजिक एकता और संविधान की भावना प्रभावित हो रही है। हिंदी भाषा भारत की सबसे अधिक बोली जाने वाली मातृभाषा है लेकिन इसे राजनीतिक कारणों से खतरा बताया जा रहा है.