हर साल सावन महीने में कांवड़ यात्रा के दौरान हिंसा और मारपीट की घटनाएं होती हैं, जिनमें आम राहगीरों को भी नुकसान पहुंचता है. कांवड़ बांस या लकड़ी से बना पवित्र डंडा होता है, जिसमें गंगाजल भरा जाता है और इसे जमीन पर नहीं रखा जाता है. कांवड़ खंडित होने पर कांवड़ियों को आस्था का अपमान लगता है, जिससे विवाद और हिंसा की घटनाएं बढ़ जाती हैं.