देश में बार-बार चुनाव होने से विकास और अर्थव्यवस्था दोनों में रुकावट आती है. एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने से अर्थव्यवस्था का आकार सात लाख करोड़ तक बढ़ने की संभावना है. केंद्र सरकार की पांच लाख करोड़ रुपए की केंद्रीय योजनाएं चुनावों के कारण कार्यान्वयन में धीमी पड़ जाती हैं.