4 से 6 शताब्दी में बीच ही शून्य की खोज हो चुकी थी पांडुलिपि बख्शाली में है, 1881 में पेशावर के करीब मिली थी 1902 से ऑक्सफोर्ड में ऐसे ही सुरक्षित रही पांडुलिपि