सुप्रीम कोर्ट ने पति या पत्नी की गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई टेलीफोन बातचीत को फैमिली कोर्ट में साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने का फैसला सुनाया है. सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें बिना सहमति की रिकॉर्डिंग को निजता का उल्लंघन बताया गया था. न्यायालय ने कहा कि वैवाहिक विवादों में गुप्त रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने से घरेलू सौहार्द खतरे में नहीं पड़ता.