मिग-21 ने भारतीय वायु सेना में छह दशक से अधिक समय तक सेवा दी और कई युद्ध अभियानों में भाग लिया. मिग-21 के शुुरुआती दौर में न तो कोई ट्रेनर था और न ही सिम्युलेटर, जिससे पायलटों को काफी चुनौतियां झेलनी पड़ीं. मिग-21 का विदाई समारोह चंडीगढ़ में हुआ, जहां इसे भारतीय वायु सेना की रीढ़ के रूप में सम्मानित किया गया.