भोग लगाकर मंदिर में कभी ना छोड़ें, ऐसा शुभ नहीं माना जाता है. प्रसाद चढ़ाने के बाद खुद भी खाएंं और लोगों में भी बांटें. प्रसाद को सोने, चांदी के बरतन में चढ़ाना चाहिए.