देव आनंद और गुरु दत्त की दोस्ती लॉन्ड्री की शर्ट अदला-बदली के मामूली वाकये से शुरू हुई, जिससे उनकी पहली मुलाकात हुई. दोनों ने संघर्ष के दिनों में एक-दूसरे से वादा किया कि देव प्रोड्यूसर बने तो गुरु उनकी फिल्म डायरेक्ट करेंगे और गुरु प्रोड्यूसर बने तो देव उनके हीरो होंगे. देव आनंद ने नवकेतन फिल्म्स की स्थापना के बाद गुरु दत्त को अपनी पहली डायरेक्शन फिल्म बाजी करने का मौका दिया, जो गुरु दत्त के करियर का टर्निंग पॉइंट बनी.