गुरु दत्त की फिल्मों में कैमरे का प्रयोग बेहद कल्पनाशील और जीवंत था, जो किरदारों की भावनाओं को गहराई से दर्शाता था. देव आनंद ने गुरु दत्त को निर्देशक के रूप में पहला बड़ा मौका दिया, जिससे उनकी फिल्मी यात्रा की शुरुआत हुई. गुरु दत्त की फिल्मों में रोमानियत और यथार्थ का अनूठा मेल था, जो साहिर और सचिनदेव बर्मन के गीतों और संगीत से सजीव होता था.