भारत के वैश्विक स्तर पर शैक्षणिक संस्थान निम्न गुणवत्ता के हैं और बिहार के संस्थान सबसे निचले स्तर पर हैं. बिहार सरकार ने बजट में शिक्षा के लिए बड़ी राशि आवंटित की है लेकिन गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ है. बिहार के युवा अच्छी शिक्षा न मिलने के कारण रोजगार के योग्य नहीं बन पाते और नौकरी के बाजार में पिछड़ जाते हैं.