
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को अमेरिका में अतिरिक्त 10 % टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है.
- ट्रंप ने ब्रिक्स समूह पर अमेरिकी डॉलर के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती देने का आरोप लगाया है.
- उन्होंने कहा कि डॉलर का वैश्विक रिजर्व करेंसी का दर्जा खोना विश्व युद्ध हारने जैसा होगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चेतावनी दी है कि ब्रिक्स ब्लॉक के साथ जुड़े देशों को अमेरिका के अंदर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने इसकी वजह बताई कि वह ग्लोबल करेंसी के रूप में डॉलर के वैश्विक दबदबे की रक्षा करना चाहते हैं.
शुक्रवार (स्थानीय समयानुसार) को व्हाइट हाउस के एक कार्यक्रम में बोलते हुए, ट्रंप ने ब्रिक्स समूह पर अमेरिकी डॉलर पर "कब्जा" करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और कहा कि वह अमेरिका की मुद्रा को "फिसलने (स्लाइड)" की अनुमति नहीं देंगे. ट्रंप ने कहा कि अगर हमने दुनिया की रिजर्व करेंसी के रूप में डॉलर का दर्जा खो दिया, तो यह विश्व युद्ध हारने जैसा होगा.”
ट्रंप ने दावा किया कि उनकी टैरिफ चेतावनी जारी करने के बाद, ब्रिक्स की बैठक में कम उपस्थिति देखी गई. उन्होंने कहा, "वे टैरिफ नहीं लगाना चाहते थे." राष्ट्रपति ने कहा, "मैंने उन पर बहुत, बहुत जोर से प्रहार किया और यह बहुत जल्दी खत्म हो जाएगा. मुझे नहीं लगता कि वे ऐसा करेंगे. वे वस्तुतः मिलने से डर रहे हैं."
नोट: ब्रिक्स एक आर्थिक गठबंधन है जिसमें मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. पिछले साल समूह का उल्लेखनीय विस्तार हुआ और इसमें मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हो गए. ब्लॉक ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने पर चर्चा की है, हालांकि सदस्य देशों ने इस लक्ष्य पर अलग-अलग दृष्टिकोण पेश किए हैं.
अमेरिका के साथ व्यापार समझौतों के लिए पहले 9 जुलाई की समय सीमा बीत जाने के बाद, ट्रंप ने टैरिफ लगाने के लिए 1 अगस्त की समय सीमा तय की है. ट्रंप ने कहा कि अगर समझौते पर सहमति नहीं बनती है तो वह देशों को टैरिफ रेट के डिटेल्स के लिए लेटर भेजेंगे.
डॉलर पर भारत का क्या स्टैंड?
भारत से पहले भी डॉलर के विकल्पों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की गई है. 17 जुलाई को, देश के विदेश मंत्रालय ने कहा कि "डी-डॉलरीकरण" (डॉलर को किसी और करेंसी से रिप्लेस करना) ब्रिक्स एजेंडे में नहीं था. विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, "सीमा पार से भुगतान, हां, ब्रिक्स ने स्थानीय मुद्राओं के बारे में बात की है, लेकिन डी-डॉलरीकरण ऐसा कुछ नहीं है जो एजेंडे में है."
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