Image Credit: iStock

Thalassaemia को
समझें

थैलेसीमिया एक ऐसा रोग है, जो आमतौर पर बच्चे में जन्म से ही होता है. यह एक वंशानुगत रोग यानी हेरेडिटरी है.

क्या है 

Image Credit: iStock

थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है. एक माइनर थैले‍सीमिया और दूसरा मेजर थैलेसीमि‍या. 

प्रकार

Video Credit: Getty

...वाले बच्चों में खून कभी भी सामान्य के स्तर तक नहीं पहुंच पाता यह हमेशा कम रहता है, लेकिन ये स्वस्थ जीवन जी लेते हैं.

माइनर थैलेसीमिया...

Video Credit: Getty

...मुश्किल बड़ी मेजर थैलेसीमिया वाले बच्चों के लिए होती है. उन्हें लगभग हर 21 दिन या हर महीने खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है.

वहीं...

Video Credit: Getty

यह माता पिता के क्रोमोजोम पर निर्भर होता है. मां-पिता में से एक के क्रोमोजोम खराब होने पर बच्चे में माइनर थैलेसीमिया की संभावना बढ़ती है. 

कैसे होता है

Image Credit: iStock

मां और पिता दोनों के ही क्रोमोजोम खराब हों, तो यह मेजर थैलेसीमिया की स्थिति पैदा कर देता है. ऐसे बच्चों को हर 20 से 21 दिन में खून चढ़ाना पड़ता है.

कैसे होता है

Image Credit: iStock

रेड ब्लड सेल्स की उम्र तकरीबन 120 दिन होती है, लेकिन थैलेसीमिया के मरीजों में यह करीब-करीब 20 दिन में ही ब्रेक हो जाते हैं.

Video Credit: Getty

माता या पिता में से किसी एक को भी मेजर थैलेसीमिया या दोनों को माइनर थैलेसीमिया है, तो वे डॉक्टरी निगरानी में बच्चा प्लान करें. 

बचा कैसे जाए

Image Credit: iStock

शादी से पहले लड़का और लड़की को अपने ब्लड टेस्ट करवा कर यह सुनिश्च‍ित करना चाहिए कि वे दोनों ही माइनर थैलेसीमिया से पीडि़त न हों.

बचा कैसे जाए

Image Credit: iStock

यह लेख केवल आम जानकारी के लिए है. अधिक जानकारी के लिए व‍िशेषज्ञ से मिलें. 

नोट

Image Credit: iStock

Video Credit: Getty

अधिक कहानियों के लिए
इस तरह की जाँच करें: