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लक्ष्मी विलास पैलेस वडोदरा की पहचान है. कहते हैं, इसे 1890 में महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने बनवाया था.
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लक्ष्मी विलास पैलेस की संरचना में इस्लामिक, विक्टोरियन और राजस्थानी आर्किटेक्चर का बेहतरीन संगम देखने को मिलता है.
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इस मस्जिद के पिलर्स पर की गई नक्काशी और कारीगरी काफी खूबसूरत है.
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इस मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है. इसकी छत पर रंगों का खूबसूरत संयोजन देखने को मिलता है.
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टेक्सटाइल प्रिंटिंग की बात हो, तो वडोदरा को कैसे भुलाया जा सकता है. वडोदरा की टेक्सटाइल प्रिंटिंग देशभर में मशहूर है.
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यहां मकर संक्रांति पर पतंग महोत्सव होता है. इस दौरान अलग-अलग साइज़, शेप और कलर की पतंगें आसमान को और खूबसूरत बना देती हैं.
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सफेद संगमरमर से बने इस मंदिर की शुरुआत अहमदाबाद के एक धनी व्यापारी हाथीसिंह केसरसिंह द्वारा की गई थी.
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दीवाली, होली, गणेश चतुर्थी या नवरात्रि - वडोदरा के स्थानीय मैदानों में आपको गरबा की चमक हर समय देखने को मिलेगी.
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इस बाग को कामती बाग के रूप में भी जाना जाता है. इसे बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ द्वारा बनवाया गया था.
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इसका निर्माण राजा सयाजीराव गायकवाड़ के तीसरे पोते राजा प्रतापसिंहराव गायकवाड़ ने करवाया था.
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