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नवरात्रि 9 दिनों का त्योहार है, जिसमें देवी दुर्गा की आराधना की जाती है. हिन्दू धर्म में देवी शक्ति के नौ रूपों की पूजा विभिन्न अनुष्ठानों में की जाती है.
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प्रथम देवी शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के पहले दिन की जाती है. शैलपुत्री मंदिर वाराणसी के मरहिया घाट पर स्थित है और दूसरा हेदवदे गांव में स्थित है.
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दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है. ब्रह्मचारिणी का अर्थ है - तप की चारिणी. वाराणसी भारत का एकमात्र स्थान है, जहां देवी दुर्गा के 9 मंदिर स्थित हैं.
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देवी दुर्गा का तीसरा रूप चंद्रघंटा है, जिसका अर्थ है घंटी की तरह अर्धचंद्र. चंद्रघंटा को चंडिका और साहस की देवी के रूप में भी जाना जाता है.
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कूष्मांडा देवी दुर्गा का चौथा रूप है, जिसकी पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है. कानपुर जिले के घाटमपुर में कूष्मांडा का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है.
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पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है. स्कंदमाता मंदिर भी वाराणसी में स्थित है और शहर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है.
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कात्यायन की पुत्री कात्यायिनी देवी पार्वती का छठा रूप हैं. एवेर्सा में श्री कात्यायनी बाणेश्वर मंदिर, कार्तियानी के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है.
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माता की सातवीं शक्ति कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन होती है. देवी कालरात्रि संकट का नाश करती हैं. कालरात्रि का मंदिर वाराणसी में है.
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नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है. महागौरी का मंदिर लुधियाना और वाराणसी में स्थित है.
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सिद्धिदात्री देवी को पार्वती का नौवां रूप माना जाता है. देवी सिद्धिदात्री माता के मंदिर वाराणसी, देवपहाड़ी (छत्तीसगढ़), सतना और सागर (मध्य प्रदेश) में स्थित हैं.
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