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उदयपुर को 'एशिया का वेनिस' भी कहा जाता है. राणा उदय सिंह ने 1559 ई. में इस नगर की स्थापना की थी.
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महाराणा उदय सिंह ने पिछोला लेक के किनारे इस महल को बनवाया था. यहां का कुछ हिस्सा जनता के लिए खुला हुआ है.
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जो भाग पब्लिक के लिए खुला हुआ है उसके दो हिस्से हैं- मर्दाना महल और ज़नाना महल. मर्दाना महल मे संग्रहालय है.
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यहां सिल्वर, आर्किटेक्चर, कन्सर्वेशन, स्कल्प्चर, म्यूज़िक, फोटोग्राफी, पेंटिंग, टेक्सटाइल व कॉस्ट्यूम गैलरी हैं.
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सिटी पैलेस से विशाल पिछोला झील नज़र आती है. यह कृत्रिम झील है, जहां आप सुबह-शाम बोटिंग का मज़ा ले सकते हैं.
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उदयपुर की दूसरी बड़ी झील है फतेह सागर. झील के किनारे की सड़क पर हर शाम लज़ीज़ पकवानों की ढेरों दुकानें लगती हैं.
फतेह सागर झील के पास ही मोती मगरी है. यहां बगीचे के बीचों-बीच चेतक और राणा प्रताप की 11 फीट ऊंची प्रतिमा है.
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मेवाड़ के शासक महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय ने राजपरिवार की महिलाओं के लिए इस उद्यान को बनवाया था.
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यह उदयपुर का सबसे बड़ा और 400 साल पुराना मंदिर है. यहां प्रतिष्ठापित चार हाथ वाली विष्णु की छवि काले पत्थर से बनी है.
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यह जगह शॉपिंग के लिए बेस्ट है. यहां मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की नक्काशी और टेराकोटा कारीगरी वाला सामान बेचा जाता है.
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