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इसे रानी विक्टोरिया के 25 साल के शासन का जश्न सेलिब्रेट करने के लिए बनाया गया था. 64 एकड़ में फैले मेमोरियल में कई बाग और बगीचे हैं.
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कभी CM कार्यालय के रूप में पहचानी जाने वाली इस इमारत को ग्रीको-रोमन वास्तुकला शैली में निर्मित किया गया. कोलकाता में यहां ज़रूर जाएं.
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भारत के अतीत की छवि दिखाने वाले इस म्यूज़ियम की नींव 1814 में रखी गई. हिस्ट्री लवर्स के लिए यह सबसे आकर्षक जगहों में से एक है.
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बंगाल गए और रसगुल्ला टेस्ट नहीं किया तो क्या किया? दुर्गा पूजा हो या दीवाली, बंगाल में रसगुल्ले का स्वाद हर ज़ुबां पर रहता है.
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करीब 130 एकड़ में फैले इस मंदिर में जन्माष्टमी बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. यह कोलकाता के बड़े धार्मिक स्थलों में से एक है.
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करीब 1500 फुट लंबे और 71 फुट चौड़े कोलकाता के इस ब्रिज को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं.
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जैन तीर्थंकरों को समर्पित इस मंदिर में पत्थर और कांच से कई आकर्षक आकृतियां बनाई गई हैं. यहां दुनियभर से लोग आते हैं.
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हुगली नदी के किनारे स्थित यह ऐतिहासिक मंदिर मां भवतारिणी, यानी काली देवी को समर्पित है. यहां हर रोज़ हज़ारों लोग दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.
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देश की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक नाखोदा मस्जिद के प्रार्थना कक्ष में एक साथ करीब 10,000 लोग बैठ सकते हैं.
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बेलूर मठ रामकृष्ण मठ और मिशन का मुख्यालय है. मंदिर की वास्तुकला हिन्दू, इस्लामी और ईसाई वास्तुकला का संयोजन है.