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इन जगहों की जन्माष्टमी
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मथुरा भगवान कृष्ण का जन्म स्थल है. कहा जाता है कि देवकी ने यहीं जेल में कृष्ण को जन्म दिया था. यहां जन्माष्टमी दो हिस्सों - झूलन उत्सव और घटा - में मनाया जाता है.
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मथुरा की जन्माष्टमी यहां की रासलीला के लिए भी काफी मशहूर है. इसमें श्रीकृष्ण की लाइफ को डांस के ज़रिये दिखाया जाता है.
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वृंदावन में श्रीकृष्ण के जन्म से 10 दिन पहले ही जन्माष्टमी का त्योहार शुरू हो जाता है. मथुरा की तरह यहां भी रासलीला का आयोजन किया जाता है.
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मंदिरों को तरह-तरह की लाइट्स से सजाया जाता है. अगर वृंदावन घूमने का प्लान है, तो यहां के सबसे पुराने मंदिर गोविंद देवी मंदिर की यात्रा ज़रूर करें.
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गोकुलाष्टमी के नाम से भी पहचानी जाने वाली जन्माष्टमी का गोकुल में भी भव्य आयोजन किया जाता है. कहा जाता है कि जन्म के बाद श्रीकृष्ण को यहीं लाया गया था.
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द्वारका में जन्माष्टमी के दौरान कई जगहों पर मंगल आरती की जाती है. साथ ही यहां बंटा भोग और उत्सव भोग बांटा जाता है.
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मुंबई की जन्माष्टमी की खासियत यह है कि यहां दही-हांडी से जुड़ा खेल हर साल जगह-जगह आयोजित किया जाता है. भक्त एक पिरामिड बनाकर ऊंचाई पर रस्सी से बांधी गई दही की हांडी को फोड़ते हैं.
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दही हांडी को फोड़ने की इस संस्कृति में हिस्सा लेने वाले ग्रुप्स को गोविंदा मंडल पुकारा जाता है.वर्ली और जोगेश्वरी की दही-हांडी काफी मशहूर है.
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उडुपी में जन्माष्टमी सेलिब्रेशन के दौरान जगह-जगह भगवान बालकृष्ण की मूर्तियों को पालने में सजाकर झांकियां भी निकाली जाती हैं.
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गुंडा एक तरह की इडली है, जिसे उडुपी में बहुत ही शुभ माना जाता है. जन्माष्टमी के दौरान खासतौर पर इसे ही पकाकर बांटा जाता है.
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केरल के गुरुवायुर मंदिर में जन्माष्टमी से जुड़े रस्म और रिवाज़ निभाए जाते हैं. यहां पूजा और आरती समय-समय पर की जाती है.
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संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए यहां क्लासिकल डांस और म्यूज़िक परफॉर्मेन्स दी जाती है, जो अपने आप में बेहद खास है.
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मणिपुर में जन्माष्टमी बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है और इसे यहां कृष्णजन्मा के नाम से भी जाना जाता है.यहां सावन माह में अमावस्या के आठवें दिन जन्माष्टमी उत्सव शुरू हो जाता है.
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असम में जन्माष्टमी भद्रा के महीने में सेलिब्रेट की जाती है. गुवाहाटी के उलूबारी में स्थित शिलान्यास इस्कॉन मंदिर राज्य में जन्माष्टमी समारोह का सबसे अच्छा स्थान माना जाता है.
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असम में जन्माष्टमी सेलिब्रेशन के दौरान आरती, भजन और भगवद् गीता के श्लोक पढ़े जाते हैं. रासलीला के अलावा असम के लोग डांस कर श्रीकृष्ण को खुश करने की कोशिश करते हैं.
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