पांच बार के विश्वविजेता आनंद 1988 में ग्रैंडमास्टर बने. वह चौथे ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने चेस रेटिंग सिस्टम ईएलओ (Elo) में 2800 अंक को पार किया है.
हरिकृष्ण 2001 में भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने थे. हरिकृष्ण 2001 में कॉमनवेल्थ चैम्पियन और 2004 में जूनियर चैम्पियन भी रह चुके हैं.
विदित चौथे भारतीय ग्रैंडमास्टर हैं, जिन्होंने चेस रेटिंग सिस्टम ईएलओ (Elo) में 2700 से ज्यादा अंक हासिल किए हैं. वह 2013 में ग्रैंडमास्टर बने थे.
तानिया 2005 में महिला ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल करने वाली आठवीं भारतीय खिलाड़ी बनी थीं. वह 2007 में महिला एशियाई चैम्पियनशिप भी जीत चुकी हैं.
अभिजीत गुप्ता पांच बार कॉमनवेल्थ चेस चैम्पियनशिप जीतने वाले पहले चेस प्लेयर हैं. 2008 में अभिजीत 18 वर्ष की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने थे.
2006 में परिमार्जन ग्रैंडमास्टर की उपाधि हासिल करने वाले दूसरे सबसे युवा खिलाड़ी बने थे. 2010 में नेगी को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगताओं में सूर्यशेखर के नाम 40 स्वर्ण, 21 रजत और 6 कांस्य पदक हैं. 2005 में उन्हें अर्जुन अवार्ड भी मिल चुका है.
2019 में ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी भारत की पहली महिला वर्ल्ड रैपिड चैम्पियन बनी थीं. आनंद के बाद वह रैपिड स्वर्ण पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय हैं.
निहाल ने 14 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर का खिताब जीत लिया था. वह ईएलओ (Elo) चेस रेटिंग में 2600 अंक हासिल करने वाले तीसरे सबसे युवा खिलाड़ी हैं.
हरिका ने 2012, 2015, 2017 में महिला विश्व शतरंज चैम्पियनशिप में तीन कांस्य पदक जीते हैं. खेल में योगदान के लिए 2019 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
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