Story created by Renu Chouhan

अंतरिक्ष यात्रियों की आंखों से आंसू क्यों नहीं बहते?

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आपने अक्सर देखा होगा कि जब हम रोते हैं तो आंसुओं की धार नीचे की ओर ही गिरती है.

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लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंतरिक्ष यात्री जब स्पेस में होते हैं तो उनके रोने का अनुभव धरती से अलग होता है.

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क्योंकि धरती पर जब इंसान रोता है आंखों से आंसुओं की धार बहती है या फिर ओस से उड़ जाती है.

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लेकिन अंतरिक्ष यात्रियों जब स्पेस में रोते हैं तो उनके आंसू नीचे की ओर बहते नहीं बल्कि आंखों के बाहर ही इकट्ठे होने लगते हैं.


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और एस्ट्रोनॉट्स के अंतरिक्ष में आंसू न बहने का सबसे आम कारण है गुरुत्वाकर्षण. 


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क्योंकि अंतरिक्ष में शून्य गुरुत्वाकर्षण होता है, जिसके कारण आंसू आंखों से बहकर नहीं गिरते, बल्कि एक गोलाकार बूंद के रूप में आंखों के पास ही तैरते रहते हैं.


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सिर्फ आंसू ही नहीं बल्कि सभी चीजें अंतरिक्ष में एक जगह स्थिर नहीं रहती, बल्कि वो हवा में ही लटकी रहती हैं.


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इसीलिए अगर अंतरिक्ष यात्री स्पेस में रोते भी हैं तो उन्हें कपड़े से ही अपने आंसू पोछने पड़ते हैं.

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