इलेक्टोरल या चुनावी बॉन्ड क्या है?

Story Created By: Shikha Sharma

चुनावी बॉन्ड वित्तीय तरीका है जिसके जरिए राजनीतिक दलों को चंदा दिया जाता है.

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इसकी व्यवस्था पहली बार वित्तमंत्री ने 2017-2018 के केंद्रीय बजट में की थी.

चुनावी बॉन्ड योजना- 2018 के अनुसार, चुनावी बॉन्ड के तहत एक वचन पत्र जारी किया जाता है, जिसमें धारक को राशि देने का वादा होता है.

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ADR के अनुसार, इसमें बॉन्ड के खरीदार या भुगतानकर्ता का नाम, स्वामित्व की जानकारी दर्ज नहीं की जाती और इसमें राजनीतिक दल को इसका मालिक माना जाता है.

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नागरिक और कंपनियां बॉन्ड के जरिये एक हजार, 10 हजार, एक लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपये के गुणांक में अपनी पसंद की पार्टी को दान दे सकते हैं.

इन बॉन्ड को राजनीतिक पार्टियों द्वारा 15 दिनों के भीतर भुनाया जा सकता है.

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व्यक्ति या तो स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति के साथ इन बॉन्ड को खरीद सकता है.

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मौजूदा समय में व्यक्ति (कंपनियों के लिए) के लिए बॉन्ड खरीदने की कोई सीमा नहीं है.

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राजनीतिक दल 15 दिनों में बॉन्ड को यूज नहीं करते तो राशि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राहत कोष में जमा हो जाती है.

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