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जानें कौन हैं राम के अनोखे भक्त रामनामी, पूरे शरीर पर गुदवाते हैं
राम का नाम
22 जनवरी को होने जा रही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन में पीएम मोदी समेत कई बड़ी दिग्गज हस्तियां भी शामिल होने वाली हैं.
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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों के बीच छत्तीसगढ़ में एक ऐसा समुदाय है, जो करीब 135 वर्षों से रामभक्ति की अलग ही परंपरा निभा रहा है.
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प्रभु राम में इनकी आस्था और संस्कृति विश्वभर में एक अलग ही मिसाल बन चुकी है.
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ये समुदाय न तो मंदिर जाता है और न ही मूर्ति की पूजा करता है फिर भी ये राम का सबसे बड़ा भक्त समुदाय है.
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इस समुदाय के लोग अपने पूरे शरीर पर राम नाम गुदवाते हैं. रामनामी को ओढ़ते हैं और अपने अराध्य प्रभु भगवान श्रीराम को शरीर के रोम-रोम में बसाते हैं.
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रामनामी समुदाय के लोग शरीर पर “राम-राम” का गुदना यानि स्थाई टैटू बनवाते हैं, राम नाम लिखा मोर की पंख से बना मुकुट पहनते हैं, राम लिखा घुघरू बजाते हैं, घरों की दीवारों पर राम-राम लिखवाते हैं.
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इसी के साथ इस समुदाय के लोग आपस में एक दूसरे का अभिवादन राम-राम कह कर करते हैं, यहां तक कि एक-दूसरे को राम-राम के नाम से ही पुकारते भी हैं.
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रामनामियों में एक आम सहमति है कि 1890 के दशक में जांजगीर-चांपा के एक गांव चारपारा में एक दलित युवक परशुराम द्वारा रामनामी संप्रदाय की स्थापना की गई.
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छत्तीसगढ़ रामनामी राम-राम भजन संस्था के सचिव गुलाराम रामनामी बताते हैं कि रामनामी एक विचारधारा है, हमारे पूर्वजों को मंदिर जाने से रोका गया, तब हमारे पूर्वजों ने अपने पूरे शरीर में राम नाम का गोदना गोदवा लिया.
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1890 के आसपास रामनामी समुदाय की शुरुआत परशुराम नामक युवक ने की थी. कुछ लोग परशुराम को भगवान का दूत भी मानते हैं. तब जातिगत भेद के कारण हम लोगों को मंदिरों में जाने से रोका जाता था.
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