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Story created by Shikha Sharma

शरीर पर राख, तांत्रिक अनुष्ठान...जानिए अघोरी साधुओं का इतिहास

अघोरी साधु भगवान शिव के भक्त होते हैं, इन्‍हें महान शिव-साधक समझा जाता है.

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इनका इतिहास आठवीं शताब्दी के संत बाबा कीनाराम से जुड़ा हुआ है, जिन्हें अघोरियों का संस्थापक माना जाता है.

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कहते हैं अघोरी तांत्रिक अनुष्ठान करते हैं और अनुष्ठान के हिस्से के तौर पर यह मानव खोपड़ी से भोजन और पेय लेते हैं.

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इतना ही नहीं इन्‍हें अपने शरीर पर मानव राख लगाने और मानव शवों से मांस खाने के लिए भी जाना जाता है.

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भारत में अघोरपंथ की तीन शाखाएं प्रसिद्ध हैं, ये हैं: औघड़, सरभंगी और घुरे.

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कहते हैं अघोरी श्मशान में इसलिए साधना करते हैं क्‍योंकि अलौकिक शक्तियां, आत्माएं आदि उनकी साधना में सहायक होती हैं.

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अघोरी मृत्यु को जीवन का अनिवार्य हिस्सा और मुक्ति का मार्ग मानते हैं.

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अघोरी आध्यात्मिक रूप से आगे बढ़ने के लिए अहंकार और भौतिक संपत्ति को त्यागने को बढ़ावा देते हैं.

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