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Byline - Aishwarya Gupta 

International Women's Day: जानें कैसे Pink बना महिलाओं का कलर 

08/03/2025

Image credit: Pixabay

हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य समाज में महिलाओं के अधिकारों और समानता के प्रति जागरुकता फैलाना है. 

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यह दिन महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित करने का अवसर है, साथ ही यह हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें महिला सशक्तिकरण के लिए लगातार कार्य करते रहना चाहिए.

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महिला दिवस के मौके पर आज हम आपको पिंक कलर से जुड़ी कुछ रोचक बात बताएंगे कि ये महिलाओं से कैसे जुड़ा. 

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जानकारी के अनुसार, पिंक कलर पहली बार 800 BC में होमर की Odyssey में पहचाना गया था. इसके बाद 17वीं सदी में ग्रीक बॉटनिस्ट के फूलों के किनारों के व्याख्यान के लिए इस रंग का इस्तेमाल हुआ था. 

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18वीं शताब्दी में गुलाबी को शक्ति और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता था और इसे पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए उपयुक्त समझा जाता था. 

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19वीं शताब्दी में यूरोप में नीले और गुलाबी रंग का विभाजन शुरू हुआ, लेकिन गुलाबी को लड़कों के लिए "मजबूत" रंग और नीले को लड़कियों के लिए "नरम" माना जाता था.

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वहीं, फिर 20वीं शताब्दी में फैशन और मार्केटिंग कंपनियों ने गुलाबी को "फेमिनिन" यानी स्त्रैण रंग के रूप में प्रचारित किया.

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इसके बाद कंपनियों ने मार्केटिंग के जरिए इसे और बढ़ावा दिया और तब से इस रंग को महिलाओं से जोड़कर पहचान मिलने लगी.

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