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जानें कहां से हुई कांचीपुरम साड़ियों की शुरुआत

कांजीवरम

कांजीवरम साड़‍ियां भारत में बुनकरों द्वारा तैयार उन परिधानों में से एक हैं, जिन्‍हें आज भी सहेजकर रखा जाता है.

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कांजीवरम साड़‍ियां मुख्‍य रूप से तमिलनाडु के कांचीपुरम क्षेत्र में बनाई जाती हैं. इसलिए इन्‍हें कांचीपुरम साड़ी भी कहा जाता है.
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कांजीवरम का आरम्भ

कांजीवरम के बुनकर

हिन्दू मान्‍यताओं के अनुसार कांजीवरम के बुनकारों को मार्कण्डेय का वंशज माना गया है. मार्कण्डेय को देवताओं का बुनकर कहा गया है.

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भगवान विष्‍णु 

ऐसी मान्‍यता है कि भगवान विष्‍णु को रेशम प्रिय है, इसलिए ज्‍़यादातर कांचीपुरम साड़‍ियां बेहतरीन सिल्‍क से बनाई जाती हैं.

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ज़री का धागा

कांचीपुरम क्षेत्र में बसे गुजराती परिवार ही इन साड़‍ियों के लिए ज़री का धागा तैयार करते हैं.

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कांजीवरम साड़ी की सबसे खास बात उसका 
खूबसूरत डिज़ाइन और अलग-अलग रंगों वाला पल्‍लू है.

कांजीवरम पल्‍लू 

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पल्लू की बारीकी 

इसके पल्‍लू को अलग से तैयार किया जाता है और फिर उसे साड़ी से जोड़ दिया जाता है.
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टेम्पल बॉर्डर्स

इस साड़ी के बॉर्डर में मंदिर या फूलों के डिज़ाइन बनाए जाते हैं. कई साड़‍ियों में रामायण और महाभारत के दृश्‍य भी उकेरे जाते हैं.
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दक्षिण भारतीय दुल्‍हन

दक्षिण भारत में दुल्‍हनों के लिए आज भी कांजीवरम साड़ी को एक महत्‍वपूर्ण वस्‍त्र की श्रेणी में गिना जाता है.
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दीपिका की शादी की साड़ी 

दीपिका पादुकोण ने अपनी शादी में एक नहीं, बल्‍कि दो अलग-अलग तरीके की कांजीवरम साड़‍ियों को पहना था.
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रेखा की कांजीवरम साड़ी

बॉलीवुड की मशहूर अदाकाराओं में से एक रेखा अक्सर कांजीवरम साड़‍ियों में नज़र आती हैं.
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बुनाई की जटिलता और ज़री के काम के आधार पर एक कांजीवरम साड़ी की कीमत 10,000 रुपये से लेकर 20,00,000 रुपये तक हो सकती है.

साड़ी की कीमत 

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