कशीदा, जिसे कसीदा भी कहा जाता है, कढ़ाई के सबसे पुराने तरीकों में से एक है. इस कढ़ाई को मोटे रंगदार धागों से किया जाता है.
कशीदा कढ़ाई की शुरुआत मुगल काल में कश्मीर में हुई. विशेष रूप से श्रीनगर के निवासियों ने इसे शुरू किया और सम्राटों व राजघरानों द्वारा इसे प्रसिद्धि मिली.
कशीदा की शुरुआत
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जटिल चेन सुईवर्क के साथ कशीदा बनाया जाता है. आजकल इस कढ़ाई का इस्तेमाल रेशम, कॉटन और ऊन से बने गर्म कपड़ों पर किया जाता है.
कशीदा की प्रक्रिया
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इस कढ़ाई की सबसे बड़ी खासियत है कि यह एक ही धागे का इस्तेमाल करके किया जाता है. यह कढ़ाई कपड़े के दोनों तरफ से एक जैसी ही दिखती है.
कशीदा की खासियत
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कशीदा की कैटेगरी में आने वाली कुछ मुख्य कढ़ाई स्टाइल हैं - आरी वर्क या हुक एम्ब्रॉयडरी, पेपियर माचे एम्ब्रॉयडरी और सोज़नी वर्क.
कशीदा एम्ब्रॉयडरी स्टाइल
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पहले कशीदा कढ़ाई केवल शॉल पर की जाती थी, लेकिन अब यह कढ़ाई सूट, साड़ी, कोट, जैकेट और कुर्तों पर भी की जाती है.
कपड़ों पर कशीदा
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कशीदा कढ़ाई केवल कपड़ों पर नहीं, कुशन कवर, बेड कवर, पर्दों, कालीन और बैगों पर भी की जाती है.
दूसरी चीज़ों पर कशीदा
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हाल ही में तरुण तहिलियानी ने कशीदा कढ़ाई से बनी नई कलेक्शन लॉन्च की है. बहुत से दूसरे भारतीय डिज़ाइनर भी अपने कलेक्शन में इसका इस्तेमाल करते हैं.
कशीदा और फैशन इंडस्ट्री
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आजकल बहुत-सी ब्राइड टिपिकल हेवी लहंगों की बजाय सोबर और एलिगेंट लुक पाने के लिए कशीदा कढ़ाई के लहंगे पसंद करती हैं.
कशीदा लहंगा है पॉपुलर
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जब कशीदा आउटफिट पर ज्वेलरी की बात आती है, तो पोल्की ज्वेलरी, ग्लास बीड्स ज्वेलरी, सिल्वर और पर्ल ज्वेलरी अच्छे ऑप्शन हैं.