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गाने किसी भी फिल्म का एक बहुत ही अहम हिस्सा होते हैं. एंटरटेनमेंट की जिम्मेदारी कुछ हद तक इन गानों के कंधों पर होती है.
अब जरा सोचिए कि बिना गाने के फिल्म कैसी लगी होगी...वो भी एक नहीं ऐसी 8 फिल्में हैं.
साल 1969 में आई राजेश खन्ना की 'इत्तेफाक' में एक भी गाना नहीं था. राजेश खन्ना की फिल्म में गाना ना होना इमैजिन करना थोड़ा मुश्किल है.
साल 1987 में आई कन्नड़ फिल्म 'पुष्पक विमान' में भी गाने नहीं थे.
2003 में आई भूत...वही उर्मिला मातोंडकर वाली. इस फिल्म में भी कोई गाना नहीं था.
2008 की 'ए वेडनेसडे' में पूरी फिल्म बिना गानों के ही खत्म हो जाती है.
2014 में आई मराठी फिल्म 'कोर्ट' में भी सारी जिम्मेदारी कहानी पर ही थी...गाने को कहीं जगह नहीं दी गई.
विक्की कौशल की 'सरदार उधम सिंह' में गाने नहीं थे. ये फिल्म साल 2021 में आई थी.
2021 में रिलीज हुई मलयालम फिल्म 'इरुल' में एक भी गाना नहीं था.
इसी साल जोजी नाम की एक और मलयालम फिल्म थी जिसमें गाने इस्तेमाल नहीं किए गए थे.